पत्रकारिता में एंट्री से पहले
पत्रकारिता ने धीरे-धीरे ही सही समाज में आज ऐसी जगह बना ली हैं कि लोग अब लोकतंत्र के इस पहरेदार को जानने - समझने लगे हैं । लोकतंत्र के चौथे खंभे के रूप में पत्रकारिता की आज एक भरोसेमंद जगह हैं । जानें - अनजाने समाज में ऐसी धारणा मजबूत हुई हैं कि अगर आपको इंसाफ नहीं मिल रहा हो तो आप टी.वी चैनल - अखबार यानी पत्रकारिता की शरण में जाएँ , वहाँ से इंसाफ की एक नई उम्मीद मिल सकती है । आज ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं , जिनमें मीडिया की भूमिका की वजह से लोगों को इंसाफ मिला हैं मीडिया की बढ़ती ताकत के बीच पत्रकारिता और पत्रकार समाज का एक अभिन्न हिस्सा बन गया हैं 1947 से पहले पत्रकारिता की ताकत का इस्तेमाल लोगों में आजादी की लालसा पैदा करने के लिए किया गया , वहीं आज इसका इस्तेमाल जनजागरण और अधिकारों की लडा़ई के लिए एक बडे़ हथियार के रुप में हो रहा हैं । आज की पत्रकारिता प्रशासन और राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का मजबूत हथियार है , तो वहीं यह समाज में असमानता और तरह - तरह की विसंगतियों से लड़ता हुआ दिख रहाँ हैं ।
जाहिर है आज मीडिया का हिस्सा बनते हुए हमारी और आपकी भूमिका तो मजबूत हुई ही है , जवाबदेही भी बढ़ गई हैं । ऊपरी तौर पर आम लोगों की नजर में अखबार , रेडियो और टी,वी में पत्रकार के रुप में काम करना यानी खबर देने या उससे जुडे़ हुए काम करना ही पत्रकारिता हैं । लेकिन पत्रकार के तौर पर इस काम की गंभीरता और मकसद बहुत बडा़ हैं । हम और आप में से अधिकतर लोग इस पेशे को इसलिए चुनते हैं , क्योकि यह हमें समाज के साथ संवाद करने का बहुत बडा़ अवसर देता है । हम अपनी सोच को समाज तक पहुँचा सकते हैं । और इसका मकसद यह हैं कि हम समाज को अपनी सोच के अनुरुप देखना और ढालना चाहते हैं । समाज में हो रहीं बुराई की आलोचना कर उसे अच्छाई के रास्ते उसे ले जाना चाहतें हैं । समाज में हो रहे अच्छेे कामों की सराहना कर हम उसे बढा़वा देना चाहते हैं ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्णय हो सके । एक पत्रकार के तौर पर हमारी- आपकी इच्छा ये होती हैं कि हम ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ मानवता को लेकर एक संवेदनशील सोच हों कानून के प्रति सम्मान हो , देश के प्रति प्रेम हो , शांति हो और विकास के लिए एक सकारात्मक सोच हो । हम अपने इसी उद्देश्य के लिए पत्रकारिता का सहारा लेते हैं और अपनी कल्पना से समाज के निर्माण के लिए काम करते हैं ।
यह तो तय है कि घोर व्यवसायिकता के बावजूद आज भी पत्रकारिता दूसरे पेशे की तरह केवल जीविका का जरिया नहीं हैं हम और आप समाज को कुछ सृजनात्मक मदद करने के इरादे से ही पत्रकारिता में कदम रखते हैं । पत्रकारिता के लिए हम अलग - अलग विषय क्षेत्र और माध्यम तो चुनते हैं पर सबका लक्ष्य एक होता हैं , वह है समाज में सकारात्मक सोच को बढा़वा देना । इसीलिए हम समाज के साथ संवाद करते है । यह संवाद अखबारों के जरिए होता हैं , रेडियो के जरिए होता है और टी.वी के जरिए भी यही काम होता है ।
भारत में कम्प्यूटर और इंटरनेट के विकास के साथ वेब पत्रकारिता भी बहुत तेजी से एक सशक्त संवाद माध्यम के रुप में उभर रही है । अखबार हो या टी.वी. चैनल आज लगभग सभी बडे़ प्रकाशन वेबसाइट पर भी अपनी मौजूदगी बनाए हुए हैं ताकि वह इस मीडिया से जुडे़ लोगो के साथ संवाद कर सकें यानी उन तक अपनी पहुँच बना सकें । सोशल मीडिया के जरिए आज देश और दुनिया का एक बहुत बडा़ सबका आपस में संवाद कर रहा हैं और एक नई सोच के साथ समाज को आगें बढ़ने के लिए प्रेरक की तरह काम कर रहा है । कई मौकों पर सोशल मीडिया की यह ताकत सामने आई है और समाज पर उसका प्रभाव देखने को मिला हैं लोकपाल के लिए अन्ना का आन्दोलन हो या दिल्ली में गैंग रेप पीड़ित को इंसाफ दिलाने की मुहिम , सोशल मीडिया का जबरदस्त प्रभाव सामने आया है । हालाँकि अलग-अलग बौद्धिक और सामाजिक स्तर पर लोगों के स्तरहीन और गंभीर संवाद की वजह से इसकी आलोचना भी हो रही है ।