शिव स्वर्णमाला स्तुति लिरिक्स Shiv Swarnmala Stuti lyrics

 शिव स्वर्णमाला स्तुति लिरिक्स Shiv Swarnmala Stuti lyrics

शिव स्वर्णमाला स्तुति एक दुर्लभ और अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान शिव की विभिन्न स्वरूपों में स्तुति की जाती है। इसे संस्कृत में रचा गया है और यह "स्वर्णमाला" (सोने की माला) के रूप में भगवान शिव के नामों की माला है। इसे पढ़ने से साधक को भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।


यह स्तुति भगवान शिव के अनंत नामों और गुणों का स्मरण कराते हुए उन्हें नमस्कार करती है। इसमें "शिव" शब्द का बार-बार प्रयोग कर उसकी महिमा का बखान किया गया है, जो कि ध्यान, साधना और जप के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।


ईशगिरीश नरेश परेश महेश बिलेशय भूषण भो । 

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ।। 1. ।।


🕉️ हिन्दी अर्थ:

हे ईश्वर! हे गिरिश (पर्वतों के स्वामी), हे नरेश (राजाओं के भी राजा), हे परेश (संपूर्ण जगत के परमेश्वर), हे महेश (महान ईश्वर), हे बिलेशय (बिल्ववृक्ष में वास करने वाले), हे भूषण (श्रृंगार रहित होकर भी सबसे श्रेष्ठ आभूषणस्वरूप), हे भो (दयालु)! हे साम्ब (पुत्र सहित), हे सदाशिव (सदैव कल्याणकारी), हे शम्भो (आनंददाता), हे शंकर (कल्याण करने वाले)! आपके दोनों चरण ही मेरी शरण हैं।


उमया दिव्य सुमङ्गल विग्रह यालिङ्गित वामाङ्ग विभो ।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ।। 2. ।।


🕉️ हिन्दी अर्थ:

हे विभो! आपके वाम अंग (बायें भाग) में उमा (माँ पार्वती), जो स्वयं एक दिव्य, कल्याणमयी (सुमंगल) मूर्ति हैं, आलिंगन करके स्थित हैं। आप साम्ब (पुत्र स्कन्द सहित), सदाशिव (सदैव कल्याणकारी), शम्भु (आनंददाता) और शंकर (कल्याण के स्त्रोत) हैं। मैं आपके चरणों की शरण में हूँ।


ऊरी कुरू मामज्ञमनाथं दूरी कुरू मे दुरितं भो ।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ।। 3. ।।


🕉️ हिन्दी अर्थ:

हे भो! (दयालु शिव) मैं अज्ञानी हूँ, अनाथ हूँ — कृपया मुझे अपनी शरण में स्थान दो। मेरे सभी पापों और दुःखों को दूर कर दो। हे साम्ब (स्कन्द के पिता), सदाशिव (सदैव शुभकारी), शम्भो (आनंदस्वरूप), शंकर (कल्याणकर्ता)! आपके चरण-द्वय ही मेरी एकमात्र शरण हैं।


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