यहां श्री राम चालीसा का संपूर्ण पाठ प्रस्तुत किया गया है, जिसे पढ़ने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
श्री रघुवीर भक्त हितकारी , सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ।
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई , ता सम भक्त और नहीं होई ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
यह दोहा भगवान श्री रघुवीर (भगवान श्रीराम) के प्रति भक्ति भाव को प्रकट करता है। इसका हिन्दी अर्थ इस प्रकार है: "हे श्री रघुवीर, जो भक्तों के हितकारी हैं, हमारी प्रार्थना सुनिए। जो कोई भी दिन-रात आपका ध्यान करता है, उससे बड़ा भक्त और कोई नहीं होता।" इसमें भक्त भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि वह उसकी विनती को सुनें। साथ ही यह कहा गया है कि जो व्यक्ति दिन-रात भगवान का ध्यान करता है, उसकी भक्ति सर्वोच्च होती है।
ध्यान धरें शिवजी मन माहीं , ब्रह्मा इन्द्र पार नहीं पाहीं ।
जय जय जय रघुनाथ कृपाला , सदा करो संतन प्रतिपाला ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
"शिवजी भी अपने मन में जिनका ध्यान करते हैं, और ब्रह्मा तथा इन्द्र जैसे देवता भी जिनकी महिमा को पूरी तरह नहीं जान पाते । ऐसे कृपालु रघुनाथ (श्रीराम) की जय हो, जय हो, जय हो — आप सदा संतों की रक्षा करते रहें।"
दूत तुम्हार वीर हनुमाना , जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना ।
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला , रावण मारि सुरन प्रतिपाला ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
"हे वीर हनुमान, आप भगवान श्रीराम के दूत हैं, जिनके प्रभाव को तीनों लोक (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) जानते हैं । फिर कृपालु श्रीराम ने अपनी प्रचंड भुजाओं के बल से रावण का वध कर देवताओं की रक्षा की ।"
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं , दीनन के हो सदा सहाईं ।
ब्रह्मादिक तव पार न पावै , सदा ईश तुम्हरो यश गावै ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
"हे गोसाईं (भगवान श्रीराम), आप अनाथों के नाथ हैं और दीन-दुखियों की सदा सहायता करने वाले हैं।
ब्रह्मा आदि देवता भी आपकी महिमा का पार नहीं पा सकते, और ईश्वर सदा आपका यश (गुणगान) करते हैं ।"
चारिउ वेद भरत हैं साखी , तुम भक्तन की लज्जा राखी ।
गुण गावत शारद मन माहीं , सुरपति ताको पार न पाहीं ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
नाम तुम्हार लेत जो कोई , ता सम धन्य और नहीं होईं ।
राम नाम हैं अपरम्पारा , चारिहु वेदन जाहि पुकारा ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों , तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ।
शेष रटत नित नाम तुम्हारा , महि को भार शीश पर धारा ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
फूल समान रहत सो भारा , पाव न कोऊ तुम्हारो पारा ।
भरत नाम तुम्हरो उर धारो , तासों कबहूॅं न रण में हारों ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा , सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ।
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी , सदा करत संतन रखवारी ।।
ताते रण जीते नहीं कोई , युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ।
महालक्ष्मी धर अवतारा , सब विधि करत पाप को छारा ।।
सीता नाम पुनीता गायो , भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ।
घट सों प्रकट भई सो आई जाको देखत चन्द्र लजाई ।।
सो तुम्हरे नित पांव पलोटत , नवो निद्धि चरणन में लोटत ।
सिद्धि अठारह मंहलकारी , सो तुम पर जावै बलिहारी ।।
औरहू जो अनेक प्रभुताई , सो सीतापति तुमहिं बनाई ।
इच्छा ते कोटिन संसारा रचत न लागत पल की वारा ।।
जो तुम्हरे चरणन चित लावै , ताको मुक्ति अवसि हो जावै ।
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा , निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ।।
सत्य सत्य सत्यव्रत स्वामी , सत्य सनातन अंतर्यामी ।
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै , सो निश्चय चारों फल पावै ।।
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं , तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं ।
सुनहू राम तुम तात हमारे , तुमहिं भरत कूल पूज्य प्रचारे ।।