शिव चालीसा भगवान शिव की महिमा का बखान करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसे संत अयोध्यादास ने रचा। यह 40 चौपाइयों और 2 दोहों का संकलन है, जो भगवान शिव के रूप, गुण और उनके भक्तों पर कृपा का वर्णन करता है। शिव चालीसा का पाठ विशेष रूप से सोमवार को, त्रयोदशी तिथि या श्रावण मास में विशेष लाभकारी माना जाता है।
🕉️ शिव चालीसा का हिंदी अर्थ सहित पाठ
दोहा:
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
अर्थ: गणेश जी की वंदना करते हुए, अयोध्यादास भगवान शिव से अभय (निडरता) का वरदान मांगते हैं। www.newsusa.in
चौपाइयाँ:
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
अर्थ: भगवान शिव, जो माता पार्वती के पति हैं, दीन-हीन पर दया करने वाले और संतों के रक्षक हैं ।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अर्थ: तारकासुर के उत्पात से देवता परेशान थे, तब उन्होंने मिलकर भगवान शिव से सहायता मांगी।
🧘♂️ शिव चालीसा के लाभ
शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं:
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संकटों से मुक्ति: यह पाठ मानसिक और भौतिक संकटों से मुक्ति दिलाता है।
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स्वास्थ्य लाभ: शिव चालीसा का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
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धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति: यह पाठ आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति में सहायक है।
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पुत्र प्राप्ति: जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं, वे इस पाठ से लाभान्वित होते हैं।
📿 पाठ विधि
शिव चालीसा का पाठ प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर, स्वच्छ स्थान पर बैठकर किया जाता है। पाठ के दौरान भगवान शिव की तस्वीर या शिवलिंग के सामने दीपक, धूप, जल और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। नियमित पाठ से मानसिक शांति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।