श्री ललिता चालीसा 🌺

माता ललिता की स्तुति एवं महिमा

॥ विधि ॥

सायं-प्रातः किसी एक समय भी जैसा अवकाश हो, हाथ-पाँव धोकर पूर्वाभिमुख होकर बैठ जावें।
प्रथम दिन ही (बाकी दिन नहीं) धूप जलावें, दिया जलावें और बतासे या गुड़ का भोग लगावें।
"ललिता माँ आपकी चालीसा का पाठ कर रहा/रही हूँ, यह मेरे लिए हर प्रकार शुभ हो!
ललिता शुभ हो" ऐसा संकल्प करके पाठ करना प्रारम्भ करें।
जिस कार्य को सिद्ध करने का विचार हो मन ही मन कहें!

॥ श्री ललितायैः नमः ॥

॥ प्रारम्भ ॥

1जयति जयति जय ललिते माता! तव गुण महिमा है विख्याता॥
2तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी! सुर नर मुनि तेरे पद सेवी॥
3तू कल्याणी कष्ट निवारिणी! तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी॥
4मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी! भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी॥
5आदि शक्ति श्री विद्या रूपा! चक्र स्वामिनी देह अनूपा॥
6ह्रदय निवासिनी-भक्त तारिणी! नाना कष्ट विपति दल हारिणी॥
7दश विद्या है रुप तुम्हारा! श्री चंद्रेश्वरी नैमिष प्यारा॥
8धूमा, बगला, भैरवी, तारा! भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा॥
9षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी! ललिते! शक्ति तुम्हारी संगी॥
10ललिते तुम हो ज्योतित भाला! भक्त जनों का काम संभाला॥
11भारी संकट जब-जब आये! उनसे तुमने भक्त बचाए॥
12जिसने कृपा तुम्हारी पायी! उसकी सब विधि से बन आयी॥
13संकट दूर करो माँ भारी! भक्त जनों को आस तुम्हारी॥
14त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी! जय जय जय शिव कि महारानी॥
15योग सिद्दि पावें सब योगी! भोगें भोग महा सुख भोगी॥
16कृपा तुम्हारी पाके माता! जीवन सुखमय है बन जाता॥
17दुखियों को तुमने अपनाया! महा मूढ़ जो शरण न आया॥
18तुमने जिसकी ओर निहारा! मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा॥
19आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी! महाशक्ति जय जय, भय हारी॥
20कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा! लीला ललिते करें अनूपा॥
21महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे! त्रिपुर-सुंदरी सदा भक्ति दे॥
22महा महा-नंदे कल्याणी! मूकों को देती हो वाणी॥
23इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी! होता तब सेवा अनुरागी॥
24जो ललिते तेरा गुण गावे! उसे न कोई कष्ट सतावे॥
25सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी! तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी॥
26आया माँ जो शरण तुम्हारी! विपदा हरी उसी की सारी॥
27नामा कर्षिणी, चिन्ता कर्षिणी! सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी॥
28महिमा तव सब जग विख्याता! तुम हो दयामयी जग माता॥
29सब सौभाग्य दायिनी ललिता! तुम हो सुखदा करुणा कलिता॥
30आनन्द, सुख ,सम्पत्ति देती हो! कष्ट भयानक हर लेती हो॥
31मन से जो जन तुमको ध्यावे! वह तुरंत मन वांछित पावे॥
32लक्ष्मी,दुर्गा तुम हो काली! तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली॥
33मूलाधार, निवासिनी जय जय! सहस्रार गामिनी माँ जय जय॥
34छ: चक्रों को भेदने वाली! करती हो सबकी रखवाली॥
35योगी,भोगी,क्रोधी,कामी! सब हैं सेवक सब अनुगामी॥
36सबको पार लगाती हो माँ! सब पर दया दिखाती हो माँ॥
37हेमावती, उमा, ब्रह्माणी! भंडासुर कि हृदय विदारिणी॥
38सर्व विपति हर, सर्वाधारे! तुमने कुटिल कुपंथी तारे॥
39चन्द्र- धारिणी, नैमिश्वासिनी! कृपा करो ललिते अधनाशिनी॥
40भक्त जनों को दरस दिखाओ! संशय भय सब शीघ्र मिटाओ॥
41जो कोई पढ़े ललिता चालीसा! होवे सुख आनंद अधीसा॥
42जिस पर कोई संकट आवे! पाठ करे संकट मिट जावे॥
43ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा! पूर्ण मनोरथ होवे सारा॥
44पुत्र-हीन संतति सुख पावे! निर्धन धनी बने गुण गावे॥
45इस विधि पाठ करे जो कोई! दुःख बन्धन छूटे सुख होई॥
46जितेन्द्र चंद्र भारतीय बतावें! पढ़ें चालीसा तो सुख पावें॥
47सबसे लघु उपाय यह जानो! सिद्ध होय मन में जो ठानो॥
48ललिता करे हृदय में बासा! सिद्दि देत ललिता चालीसा॥

।।दोहा।।

ललिते मां अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम।।

🌺 ललिता माता की कृपा से 🌺