जय अम्बे गौरी आरती | Jai Ambe Gauri Aarti Lyrics in Hindi

 जय अम्बे गौरी की आरती 

"जय अम्बे गौरी" आरती नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा की पूजा के समय सबसे अधिक श्रद्धा और भक्ति से गाई जाने वाली आरती है। यह आरती देवी दुर्गा के शक्ति रूप — अम्बे, श्यामा, महिषासुर मर्दिनी — की महिमा का गुणगान करती है। इसमें माता को संपूर्ण सृष्टि की जननी, रिद्धि-सिद्धि की दात्री, और भक्तों के दुखों की हरने वाली देवी के रूप में स्तुत किया गया है।

नवरात्रि के दौरान यह आरती विशेष रूप से माँ दुर्गा के नौ रूपों (नवदुर्गा) की आराधना में गाई जाती है और इससे भक्तों को शांति, समृद्धि, शक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।


"Jai Ambe Gauri" Aarti is one of the most popular devotional hymns sung during the Navratri festival in honor of Goddess Durga. It praises the divine mother in her powerful form as Ambe or Shyama. Devotees chant this Aarti during daily puja and evening rituals to seek blessings for happiness, health, and protection from negativity. This sacred hymn glorifies the Mother as the destroyer of evil and the giver of prosperity.

जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी।  
तुमको निशदिन ध्यावत , हरि ब्रह्मा शिवरी॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

मांग सिंदूर विराजत , टीको मृगमद को।  
उज्ज्वल से दोउ नैना , चंद्रवदन नीको॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

कनक समान कलेवर , रक्ताम्बर राजै।  
रक्तपुष्प गल माला , कंठन पर साजै॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

केहरि वाहन राजत , खड्ग खप्पर धारी।  
सुर-नर-मुनिजन सेवत , तिनके दुखहारी॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

कानन कुण्डल शोभित , नासाग्रे मोती।  
कोटिक चंद्र दिवाकर , सम राजत ज्योती॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे , महिषासुर घाती।  
धूम्र विलोचन नैना , निशदिन मदमाती॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

चण्ड-मुण्ड संहारे , शोणित बीज हरे।  
मधु-कैटभ दोउ मारे , सुर भयहीन करे॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी , तुम कमला रानी।  
आगम निगम बखानी , तुम शिव पटरानी॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत , नृत्य करत भैरों।  
बाजत ताल मृदंगा , अरू बाजत डमरू॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

तुम ही जग की माता , तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता , सुख संपति करता॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

भुजा चार अति शोभित , वर मुद्रा धारी।  
मनवांछित फल पावत , सेवत नर नारी॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

कंचन थाल विराजत , अगर कपूर बाती।  
श्रीमालकेतु में राजत , कोटि रतन ज्योती॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥

श्री अंबेजी की आरती , जो कोइ नर गावे।  
कहत शिवानंद स्वामी , सुख-संपति पावे॥  
ॐ जय अम्बे गौरी॥


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