Ram Aarti lyrics in Hindi राम नवमी पूजा विधि

 

राम नवमी 2025 और राम आरती | Ram Navami 2025 with Full Ram Aarti Lyrics in Hindi

राम नवमी, भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का पर्व, पूरे भारत में श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्म हुआ था। राम नवमी पर विशेष पूजा, व्रत, और राम आरती का आयोजन होता है।

इस पोस्ट में हम जानेंगे राम नवमी 2025 की तिथि, महत्व, पूजन विधि और अंत में राम आरती के संपूर्ण बोल


📅 राम नवमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

👉 तिथि: रविवार, 6 अप्रैल 2025
👉 नवमी तिथि प्रारंभ: 5 अप्रैल 2025 को रात 09:10 बजे
👉 नवमी तिथि समाप्त: 6 अप्रैल 2025 को रात 08:31 बजे
👉 राम जन्म का समय (मध्यान्ह काल): दोपहर 12:00 से 12:40 बजे (स्थानीय पंचांग अनुसार)


राम नवमी का महत्व | Importance of Ram Navami

  • राम नवमी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र पर्व है।

  • यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श जीवन को स्मरण करने और उसे जीवन में उतारने का अवसर है।

  • इस दिन अयोध्या, सीता माता के जन्मस्थान जनकपुर, और देशभर के राम मंदिरों में भव्य पूजन, झांकियाँ, शोभायात्राएँ, और राम आरती होती है।


🪔 राम नवमी पूजन विधि | Ram Navami Puja Vidhi

  1. सुबह स्नान कर साफ़ वस्त्र धारण करें।

  2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

  3. श्रीराम की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।

  4. जल, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें।

  5. राम स्तुति, रामचरितमानस पाठ, या रामायण पाठ करें।

  6. अंत में श्रद्धा से राम आरती करें।


🙏 श्री राम आरती | Ram Aarti in Hindi

श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन , हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुख कर , कंज पद कंजारुणम्॥

कंदर्प अगणित अमित छवि , नव नील नीरद सुंदरम्।
पटपीत मानहु तड़ित रूचि , शुचि नौमि जनकसुतावरम्॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव , दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनंद आनन्द कन्द कौशल , चंद दशरथ नंदनम्॥

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु , उदारु अंग विभूषणम्।
आजानु भुज शर चापधर , संग्राम जित खरधूषणम्॥

इति वदति तुलसीदास शंकर , शेष मुनि मन रंजनम्।
मम हृदय कुञ्ज निवास कुरु , कामादि खल दल भंजनम्॥

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु , सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान शीलु , सनेहू जानत रावरो॥

एही भाँति गौरी असीस सुनी , सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी , पूनी मुदित मन मंदिर चली॥

**दोहा**  
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।  
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।


भावार्थ / अर्थ (संक्षेप में)


यह स्तुति भगवान राम के दिव्य स्वरूप, करुणा, बल, और सौंदर्य का अद्भुत चित्रण करती है।

भगवान राम की आँखें, हाथ, मुख और चरणों को कमल के समान कोमल और सुंदर बताया गया है।

वे राक्षसों का नाश करने वाले, दीनों के बंधु, और सुख-शांति के आधार हैं।

तुलसीदासजी प्रार्थना करते हैं कि प्रभु श्रीराम उनके हृदय में निवास करें और कामादिक दुर्गुणों का नाश करें।

📜 राम आरती का महत्व
यह स्तुति आरती रूप में राम मंदिरों, आश्रमों और घरों में गाई जाती है।

इसे गाने से मन शांत होता है, आत्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है और रामभक्ति दृढ़ होती है।

राम नवमी, राम विवाह, विजयदशमी, और नित्य संध्या पूजन में इसका अत्यंत महत्व है।

📅 राम नवमी 2025 विशेष
तिथि: रविवार, 6 अप्रैल 2025
उपयोग: इस आरती को राम नवमी पर भगवान राम की पूजा के दौरान गाना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

📌 निष्कर्ष
"श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन" केवल एक भजन नहीं, यह हृदय का शुद्धिकरण करने वाली आरती है। राम नवमी जैसे पवित्र पर्व पर इस आरती का पाठ करने से श्रीराम की कृपा सुलभ होती है और जीवन में धर्म, प्रेम और शांति का वास होता है।

📣 क्या आप भी यह आरती राम नवमी पर गाते हैं? अपने विचार और श्रद्धा नीचे कमेंट में साझा करें। पोस्ट को शेयर करें और राम नाम के प्रचार में सहभागी बनें।









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