विष्णु भगवान की आरती Vishnu Aarti in Hindi

 

🪔 भगवान विष्णु की आरती किसने लिखी थी? जानिए विष्णु आरती का इतिहास और महत्व

भगवान विष्णु, जिन्हें सृष्टि के पालनहार के रूप में पूजा जाता है, की आरती भारत के हर हिस्से में श्रद्धा से गाई जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान विष्णु की आरती किसने लिखी थी? आइए इस लेख में जानते हैं विष्णु आरती का इतिहास, रचना का श्रेय किसे जाता है और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है।


✍️ विष्णु आरती किसने लिखी?

भगवान विष्णु की जो सबसे प्रसिद्ध आरती गाई जाती है –
"ॐ जय जगदीश हरे"
उसके रचयिता पं. श्री श्रद्धालु त्रिपाठी जी माने जाते हैं। यह आरती 19वीं शताब्दी में लिखी गई थी और तब से अब तक यह आरती पूरे भारत में घर-घर में गूंजती है।

🔱 भगवान विष्णु की आरती

"ॐ जय जगदीश हरे"

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।


🌼 आरती के पश्चात्:

"भगवान विष्णु की जय! माता लक्ष्मी की जय!"
🙏 आरती समाप्त होने के बाद दीपक को पूरे घर में घुमा कर प्रकाश फैलाएं। यह शुभता, ऊर्जा और रक्षा का प्रतीक माना जाता है।


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