महाकाल स्तुति या महाकाल स्तोत्रं एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे स्वयं भगवान महाकाल ने देवी भैरवी को बताया था। इसमें भगवान महाकाल के विभिन्न रूपों की स्तुति की गई है और यह शिव भक्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसका जाप करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
📜 महाकाल स्तोत्रं का पाठ विधि:
-
स्नान करके स्वच्छ स्थान पर बैठें।
-
भगवान महाकाल की तस्वीर या प्रतिमा के सामने आसन पर बैठें।
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते का जाप 11, 21 या 108 बार करें।
-
महाकाल स्तोत्रं का पाठ करें।
-
अंत में "ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे स्वाहा सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः" का जाप करें।
महाकाल स्तुति Mahakal Stuti
नमोऽस्त्वनन्तरूपाय नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते , अविज्ञातस्वरूपाय कैवल्यायामृताय च ।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
हे अनंत रूपों वाले प्रभु! आपको बार-बार नमस्कार है। हे नीलकण्ठ! (जिन्होंने समुद्र मंथन से निकला कालकूट विष अपने कंठ में धारण किया) आपको नमस्कार है। हे जिनका स्वरूप जानना असंभव है, हे मोक्ष (कैवल्य) स्वरूप और अमृतमय (अमरता देने वाले) शिव, आपको भी मेरा बारंबार प्रणाम है।
नान्तं देवा विजानन्ति यस्य तस्मै नमो नमः , यं न वाचः प्रशंसन्ति नमस्तस्मै चिदात्मने ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
जिस परमात्मा का अंत स्वयं देवता भी नहीं जान पाते, उसको बार-बार नमस्कार है। जिसकी महिमा का वर्णन वाणी नहीं कर सकती, उस चिदात्मा (चैतन्य स्वरूप परमात्मा) को मेरा बारंबार प्रणाम है।
योगिनो यं हृदःकोशे प्रणिधानेन निश्चलाः , ज्योतिरूपं प्रपश्यन्ति तस्मै श्री ब्रह्मणे नमः ।
🕉️ हिंदी अर्थ:
जो योगीजन, ध्यान में स्थिर होकर, अपने हृदय-गुहा (हृदय रूपी कमल) में, जिस परमात्मा के ज्योतिर्मय (प्रकाश रूप) स्वरूप का दर्शन करते हैं, उस परम ब्रह्म को बारंबार नमस्कार है।
कालात्पराय कालाय स्वेच्छया पुरूषाय च , गुणत्रयस्वरूपाय नमः प्रकृतिरूपिणे ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
जो "काल" (समय) से भी परे हैं, और स्वयं काल स्वरूप हैं, जो अपनी इच्छा से सृष्टि को संचालित करते हैं, जो तीनों गुणों – सत्त्व, रज और तम – के स्वरूप हैं, और प्रकृति के भी रूप हैं, उन परम पुरुष शिव को नमस्कार है।
विष्णवे सत्त्वरूपाय रजोरूपाय वेधसे , तमोरूपाय रूद्राय स्थितिसर्गान्तकारिणे ।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
सृष्टि की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु, जो सत्त्वगुण के स्वरूप हैं — उन्हें नमस्कार। सृष्टि करने वाले ब्रह्मा, जो रजोगुण के स्वरूप हैं — उन्हें नमस्कार। संहार करने वाले रुद्र (शिव), जो तमोगुण के स्वरूप हैं — उन्हें भी नमस्कार। वे ही तीनों मिलकर सृष्टि की स्थिति (पालन), सृजन (उत्पत्ति) और संहार (अंत) करते हैं।
नमो नमः स्वरूपाय पञ्चबुद्धीन्द्रियात्मने , क्षित्यादिपञ्चरूपाय नमस्ते विषयात्मने ।। ,
🕉️ हिन्दी अर्थ:
आपको बारंबार नमस्कार है, हे परमात्मा, जो स्वरूप (स्वयं में स्थित) हैं, और जो पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ (नेत्र, कान, नासिका, जीभ, त्वचा) तथा पाँच बुद्धियाँ (चित्त, मन, बुद्धि, अहंकार, स्मृति) के आधार और आत्मा हैं। जो पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) के भी रूप हैं, और इन्द्रिय विषयों (रूप, रस, गंध, स्पर्श, शब्द) के स्वरूप हैं — ऐसे आप विषयात्मा शिव को मेरा बारंबार प्रणाम है।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
हे भगवान शिव! आपको प्रणाम है, जो पूरा ब्रह्मांड ही आपके स्वरूप में समाया हुआ है। और आपको प्रणाम है, जो ब्रह्मांड के भीतर भी व्याप्त हैं। आपको नमस्कार है — जो पूर्व (अप्वाचीन), पश्चिम (पराचीन), दक्षिण, उत्तर, और संपूर्ण दिशाओं में — सभी रूपों में, सभी दिशाओं में, समस्त विश्व में विराजमान हैं, विश्व रूप हैं — आपको नमस्कार है।
अचिन्त्यनित्यरूपाय सदसत्पतये नमः , नमस्ते भक्तकृपया स्वेच्छाविष्कृतविग्रह ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
जो अचिन्त्य (जिसका चिंतन भी नहीं किया जा सकता) और नित्य (शाश्वत) स्वरूप वाले हैं, जो सत्व (अस्तित्व) और असत्व (अनस्तित्व) — दोनों के स्वामी हैं, उनको नमस्कार है। हे प्रभु! आपको नमस्कार है, जो अपनी कृपा से भक्तों के लिए स्वेच्छा से (अपनी इच्छा से) विग्रह (रूप) धारण करते हैं।
तव निःश्वसितं वेदास्तव वेदोऽखिलं जगत् , विश्वभूतानि ते पादः शिरो द्यौः समवर्तत ।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
हे भगवान शिव! आपके निःश्वास (श्वासों) से ही वेदों की उत्पत्ति होती है, और इसी प्रकार आपके स्वास्थ्य (स्वास) से सम्पूर्ण ब्रह्मांड और सृष्टि का निर्माण होता है। आपके चरणों से सभी प्राणियों का उदय होता है, और आपके शीर्ष (मस्तक) से आकाश उत्पन्न होता है।
नाभ्या आसीदन्तरिक्षं लोमानि च वनस्पतिः , चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यस्तव प्रभो ।।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
हे प्रभु! आपकी नाभि से अंतरिक्ष का निर्माण हुआ। आपके शरीर के रोम से ही समस्त वनस्पतियाँ उत्पन्न हुईं। चंद्रमा आपके मन से उत्पन्न हुआ, और सूर्य आपके नेत्रों से प्रकट हुआ।
त्वमेव सर्वं त्वयि देव सर्वं सर्वस्तुतिस्तव्य इह त्वमेव , ईश त्वया वास्यमिदं हि सर्वं नमोऽस्तु भूयोऽपि नमो नमस्ते ।
🕉️ हिन्दी अर्थ:
हे देव! आप ही सर्व (सारा ब्रह्मांड) हैं, और आपके भीतर ही समस्त ब्रह्मांड का वास है। आप ही सर्व के स्तुति (पूजा) के पात्र हैं, और इस संसार में आपकी ही महिमा है। आप ही ईश्वर हैं जो इस समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त हैं। आपको बारंबार नमस्कार है!
महाकाल स्तुति पाठऽहं करिष्ये ।।