Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi – ओम जय शिव ओंकारा (Om Jai Shiv Omkara)

Mahashivratri 2025 शिव जी की आरती हिंदू धर्म की एक अत्यंत पवित्र परंपरा है, जो भक्तों को भगवान शिव के दिव्य स्वरूप से जोड़ती है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से एकात्मता का माध्यम है। ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ जैसी आरतियाँ शिवभक्ति को और भी अधिक भावपूर्ण बनाती हैं।

महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे प्रमुख पर्व है जिसे हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन शिवभक्तों के लिए आध्यात्मिक साधना, उपवास, शिव आराधना और आरती का विशेष अवसर होता है।


📅 महाशिवरात्रि 2025 में कब है? (Mahashivratri 2025 Date & Tithi)

विवरणजानकारी
📆 तिथि (Date)26 फरवरी 2025, बुधवार
📜 तिथि विवरणफाल्गुन मास, कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी
🕉️ तिथि प्रारंभ26 फरवरी 2025 को प्रातः 06:25 AM से
🕯️ तिथि समाप्त27 फरवरी 2025 को प्रातः 03:34 AM तक
🌙 निशीथ पूजा मुहूर्त12:09 AM – 12:58 AM (रात्रि)

🔱 महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व (Significance of Mahashivratri)

  • यह वह पावन रात्रि है जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।

  • इसे आध्यात्मिक उन्नति, पापों की मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का शुभ अवसर माना जाता है।

  • शिवपुराण के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र चढ़ाकर उपवास रखता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।



 ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती , शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है , गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विश्वनाथ विराजे , नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी , मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥


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