🌺 एकदंताय वक्रतुण्डाय स्तोत्रम् अर्थ सहित |
श्री गणेश जी विघ्नहर्ता, प्रथम पूज्य और बुद्धि-विद्या के अधिपति हैं। "एकदंताय वक्रतुण्डाय स्तोत्रम्" का पाठ करने से साधक को विद्या, बल, धन, ऐश्वर्य, यश और सफलता की प्राप्ति होती है।
🕉️ श्लोक 1
हिंदी अर्थ –
हम गणों के नायक, देवता और अध्यक्ष भगवान गणेश जी का ध्यान करते हैं। जिनका शरीर दिव्य गुणों से युक्त है, जो गुणों से अलंकृत और गुणों के ईश्वर हैं।
🕉️ श्लोक 2
हिंदी अर्थ –
हम उन गणेश जी का ध्यान करते हैं, जो गुणों से परे भी हैं, फिर भी गुणों के अधिपति और उनमें व्याप्त हैं। जो एकदंती, वक्रतुण्ड और गौरी पुत्र हैं। जिनके मस्तक पर चन्द्र सुशोभित है, उन्हीं श्री गणेश जी को प्रणाम है।
🕉️ श्लोक 3
हिंदी अर्थ –
हे गणेश जी! आप संगीत में निपुण हैं, संगीत ही आपका प्राण है, और संगीत ही आपके हृदय का सार है। आप सदैव संगीत रस में मत्त रहते हैं।
🕉️ श्लोक 4
हिंदी अर्थ –
हे गणेश जी! आप गुरुजनों द्वारा पूज्य हैं, देवताओं के देव हैं, आश्रम में विराजमान रहते हैं। आप महान और श्रेष्ठ रहस्यों के ज्ञाता हैं। आप धर्म के रक्षक, दैत्यों का नाश करने वाले और भक्तों को संकट से मुक्त करने वाले हैं।
🕉️ श्लोक 5
हिंदी अर्थ –
हम श्री गणेश जी का ध्यान करते हैं, जो गीत का सार और तत्त्व हैं। जो गुप्त ज्ञान के ज्ञाता हैं, जो सुगन्धित पुष्पों से अलंकृत रहते हैं और अपने भक्तों को विजय प्रदान करते हैं।
🕉️ श्लोक 6
हिंदी अर्थ –
हे गणेश जी! आप ही शास्त्रों का गीत हैं, आप ही ग्रंथों का गेय स्वरूप हैं। आप संगीत व वाद्य यंत्रों के माहिर और उनमें लीन रहने वाले हैं।
🕉️ श्लोक 7
हिंदी अर्थ –
हे गणेश जी! आप गौरी के पुत्र हैं, गौरी के हृदय के आनंद स्वरूप हैं। आप गौरवमयी माता के पुत्र हैं और उन्हीं के गणों के अधिपति हैं। आप सदैव अपनी माता गौरी के प्रति समर्पित हैं।
🕉️ श्लोक 8
हिंदी अर्थ –
हम उन श्री गणेश जी का ध्यान करते हैं, जो सहस्त्र गोदान का फल देने वाले, गोवर्धन समान महान, और भक्तों के पालनकर्ता हैं। आप गुणातीत, गुणाधीश और गुणों में व्याप्त हैं। आप ही एकदंती, वक्रतुण्ड, गौरीपुत्र और गजमुखधारी श्री गणेश हैं।