॥ जय गौर ॥ **
॥ श्री राधारमणो विजयते॥
॥ श्रीराधाकृपाकटाक्ष |
🪔 श्लोक 1
👉 अर्थ –
हे राधे! आप त्रिलोक के शोक को हरने वाली हैं, आपका मुख कमल की भाँति प्रसन्न है और आप निकुंजों में श्रीकृष्ण के साथ विहार करती हैं। हे व्रजेश्वरी! कृपया मुझे भी अपने कृपा-कटाक्ष का भागी बनाइए।
🪔 श्लोक 2
👉 अर्थ –
हे राधे! आप अशोक वृक्षों की छाया में स्थित हैं। आपके चरण प्रवल के समान लाल और कोमल हैं। आपके कर से वर और अभय का वरदान मिलता है। हे कृपामयी! मुझे भी अपने कटाक्ष से अनुग्रह कीजिए।
🪔 श्लोक 3
👉 अर्थ –
हे राधे! आपकी भौंहें मनमोहक और चंचल हैं, जिनसे आपके दृष्टिबाण जब गिरते हैं तो स्वयं नन्दनन्दन (श्रीकृष्ण) भी वशीभूत हो जाते हैं। कृपया मुझे भी अपने कृपा कटाक्ष का पात्र बनाइए।
🪔 श्लोक 4
👉 अर्थ –
हे देवी! आपका रूप स्वर्णचम्पक के समान गौर वर्ण से प्रदीप्त है। आपके मुख की आभा करोड़ों शरदचन्द्रों को मात देती है। आपकी आँखें चकोरों की भाँति मोहक हैं। कृपा कर मुझे भी अपना भक्त मानिए।
🪔 श्लोक 5
👉 अर्थ –
हे राधे! आप अपने यौवन से सुशोभित हैं, प्रेम और लीलाओं में पारंगत हैं तथा श्रीकृष्ण के साथ अनन्य प्रेम में लीन रहती हैं। मुझे भी अपने कृपादृष्टि का भागी बनाइए।
🪔 श्लोक 6
👉 अर्थ –
हे राधे! आप असंख्य ललित भावों से अलंकृत हैं। आपका हास्य (मन्द मुस्कान) अमृत के समान सुखद है। कृपा करके मुझे भी अपने सागर समान कृपा में डुबाइए।
🪔 श्लोक 7
👉 अर्थ –
हे राधे! आपके हाथ मृणाल (कमल तंतु) के समान कोमल और सुन्दर हैं। आपकी दृष्टि मोहिनी और आकर्षक है। कृपा करके मुझ पर अपने कटाक्ष की वर्षा कीजिए।
🪔 श्लोक 8
👉 अर्थ –
हे राधे! आपका कण्ठ सुवर्णमालाओं से विभूषित है। त्रिसूत्र (मंगलसूत्र) से शोभित और नीले केश पुष्पों से अलंकृत हैं। कृपा कर मुझे भी अपने भक्तों में सम्मिलित कीजिए।
श्लोक 9
हिंदी अर्थ –
हे राधे! आपके नितम्ब पुष्पमेखला (फूलों की कमरबंद) से सुसज्जित हैं, आपकी कमर में रत्नों से बनी किण्किणियाँ मनोहर स्वर निकाल रही हैं। आपके सुन्दर और सौभाग्य से भरे हुए जंघारूपी स्तंभ गजराज की सूँड या वराह की टाँग की तरह आकर्षक हैं। कब आप मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि डालेंगी?
श्लोक 10
हिंदी अर्थ –
हे राधे! आपके चरणों के नूपुरों की मधुर झंकार अनेक मंत्रों के समान कल्याणकारी है। आपके चरणों की ध्वनि हंसों के समूह की कलरव ध्वनि को भी मात देती है। आपके सोने की लताओं के समान चमकते सुंदर चरण अद्वितीय हैं। कब आप मुझ पर कृपादृष्टि करेंगी?
श्लोक 11
हिंदी अर्थ –
हे राधारानी! आपको अनन्त विष्णुलोकों के अधिपति भगवान भी प्रणाम करते हैं। ब्रह्मा, शंकर और इन्द्र आदि देवता भी आपकी आराधना करते हैं। आपके नखों की ज्योति अपार सिद्धियाँ और संपत्तियाँ प्रदान करने वाली है। कब आप मुझ पर कृपा करेंगी?
श्लोक 12
हिंदी अर्थ –
हे राधे! आप यज्ञ की अधिष्ठात्री, क्रिया की अधिष्ठात्री, देवताओं की अधीश्वरी, तीनों वेदों की अधिष्ठात्री हैं। आप समस्त प्रमाण और शास्त्रों की शासिका हैं। आप लक्ष्मी की भी ईश्वरी हैं, क्षमा और आनंदवन की देवी हैं। व्रज की अधीश्वरी, व्रज की रानी श्री राधे! आपको मेरा बारंबार प्रणाम है।
श्लोक 13
हिंदी अर्थ –
हे भानुनंदिनी राधे! इस अद्भुत स्तोत्र का जो कोई भक्त भावपूर्वक पाठ करता है, आप उस पर सदा कृपादृष्टि बनाए रखती हैं। उसके संचित कर्म, प्रारब्ध व क्रियमान नष्ट हो जाते हैं और उसे व्रजेश्वर श्रीकृष्ण के दिव्य मंडल में प्रवेश का अधिकार प्राप्त होता है।