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🌺 सन्तोषी माता आरती 🌺
सन्तोषी माता की आरती विशेष रूप से शुक्रवार को गाई जाती है। माँ संतोषी की कृपा से दुख, दरिद्रता, रोग और संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
🙏 आरती 🙏
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पति दाता॥
अपने सेवक जन की, सुख सम्पति दाता॥
अर्थ: हे माता संतोषी! आप भक्तों को सुख और संपत्ति देने वाली हैं।
सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥
अर्थ: माता सुंदर वस्त्र धारण किए हुए हैं, हीरे-पन्ने के आभूषणों से अलंकृत।
गेरू लाल छटा छबि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे॥
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे॥
अर्थ: माँ का मुख कमल समान शोभित है, उनकी मंद मुस्कान से त्रिभुवन मोहित है।
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे॥
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे॥
अर्थ: माँ स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं, सेवक धूप-दीप और प्रसाद अर्पित करते हैं।
गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
अर्थ: माता को गुड़ और चना प्रिय हैं, वे भक्तों को संतोष और समृद्धि प्रदान करती हैं।
शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही॥
भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही॥
अर्थ: शुक्रवार माँ का प्रिय दिन है, इस दिन भक्तगण कथा व आरती करते हैं।
भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै॥
जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै॥
अर्थ: हे माँ! हमारी पूजा स्वीकार करें और मनोकामनाएँ पूरी करें।
सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे॥
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे॥
अर्थ: जो कोई भी यह आरती करता है, उसे सुख, समृद्धि और संतोष प्राप्त होता है।
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