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🌺 श्री बगलामुखी माता आरती 🌺
माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इनकी आरती से शत्रु पर विजय, संकट निवारण और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
🙏 आरती 🙏
जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी।
पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी॥
पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी॥
अर्थ: पीतवस्त्र धारण करने वाली माँ बगलामुखी की छवि अति मनोहर है।
कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं सकल नर-नारी॥
अर्थ: माता मुद्गर धारण करती हैं, जिनकी स्तुति सब नर-नारी करते हैं।
चम्पक माल गले लहरावे, सुर नर मुनि जय जयति उचारी॥
त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी॥
त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी॥
अर्थ: गले में चम्पक माला शोभित है। आपकी भक्ति त्रिविध ताप हरने वाली है।
पालत हरत सृजत तुम जग को, सब जीवन की हो रखवारी॥
मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ, तुम उजियारी॥
मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ, तुम उजियारी॥
अर्थ: माँ सृष्टि की पालनहार हैं, वे मोह-अज्ञान को दूर कर प्रकाश देती हैं।
तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु, अम्बे तुमही हो असुरारी॥
सन्तन को सुख देत सदा ही, सब जन की तुम प्राण पियारी॥
सन्तन को सुख देत सदा ही, सब जन की तुम प्राण पियारी॥
अर्थ: माँ अज्ञान का अंधकार नाश करती हैं और संतों को सुख प्रदान करती हैं।
तव चरणन जो ध्यान लगावै, ताको हो सब भव-भयहारी॥
प्रेम सहित जो करहिं आरती, ते नर मोक्षधाम अधिकारी॥
प्रेम सहित जो करहिं आरती, ते नर मोक्षधाम अधिकारी॥
अर्थ: जो माँ का ध्यान और आरती करता है, वह मोक्ष का अधिकारी बनता है।
॥ दोहा ॥
बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय।
विनती कुलपति मिश्र की, सुख-सम्पति सब होय॥
विनती कुलपति मिश्र की, सुख-सम्पति सब होय॥
अर्थ: जो भी भक्त यह आरती गाता है, उसे सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
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