राधा जी की आरती हिन्दी , Radha Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi


आरती श्री वृषभानुसुता | Vrushbhanusuta Aarti
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🌺 आरती श्री वृषभानुसुता 🌺

श्री वृषभानुसुता जी की आरती भक्ति और श्रद्धा से गाई जाती है। इसे पढ़ने से प्रेम, श्रद्धा और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

🙏 आरती 🙏

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
अर्थ: मनमोहक रूप वाले, प्रेम और करुणा से परिपूर्ण प्रभु, जो संसृति के ताप और अज्ञान का नाश करते हैं।
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
अर्थ: मुनियों का मन मोहित करने वाले, मधुर और सुंदर रूप वाले, प्रेम रस के स्रोत।
संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी, अति अमूल्य सम्पति समता की॥
अर्थ: सत्संग में सदैव पूजनीय, दिव्य गुणों से संपन्न, कृष्ण की आकर्षक लीलाओं वाले।
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगजननि जग दुखनिवारिणि, आदि अनादिशक्ति विभुता की॥
अर्थ: कृष्ण के अनुकूल और उनके सहचर, जगदम्बा, दुखों का निवारक, आदि अनादि शक्ति।
आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की॥
अर्थ: आरती श्री वृषभानुसुता की, जो मनमोहक रूप और ममता के धनी हैं।
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