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🌺 माँ सरस्वती माता की आरती 🌺
माँ सरस्वती माता की आरती विद्या, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए गाई जाती है। इसे पढ़ने से श्रद्धालु को सफलता और शिक्षा में उन्नति मिलती है।
🙏 आरती 🙏
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
अर्थ: मैं उस परमेश्वरी भगवती शारदा को नमन करता हूँ, जो ब्रह्मा के विचारों की सारस्वती हैं, वीणा और पुस्तक धारण करती हैं और अज्ञान का नाश करती हैं।
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
अर्थ: हे माता सरस्वती, आप सद्गुण और वैभव वाली हैं। त्रिभुवन में आपका नाम प्रसिद्ध है।
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी। सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
अर्थ: आपका मुख चंद्र के समान सुंदर है, आप पद्मासन पर विराजमान हैं और हंस पर सवार होकर शुभ और तेजस्वी प्रतीत होती हैं।
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला। शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला॥
अर्थ: आपके बाएँ हाथ में वीणा और दाएँ हाथ में माला है, सिर पर मुकुट और गले में मोती की माला सजी हुई है।
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
अर्थ: जो भी आपकी शरण में आता है, आप उसका उद्धार करती हैं। आपने मंथरा और रावण का संहार किया।
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो॥
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो॥
अर्थ: आप विद्या और ज्ञान प्रदान करने वाली हैं, अज्ञान और अंधकार को दूर कर जगत को प्रकाशित करें।
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
अर्थ: माँ, हम आपको धूप, दीप और भोग अर्पित करते हैं। आप हमें ज्ञान का दृष्टि दें और जगत का उद्धार करें।
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें॥
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें॥
अर्थ: जो कोई भी आपकी आरती करता है, उसे सुख, ज्ञान और भक्ति का लाभ प्राप्त होता है।
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