🌺 श्री चामुण्डा माता आरती 🌺
श्री चामुण्डा माता आरती में माँ चामुण्डा की स्तुति की गई है। चामुण्डा देवी शक्ति के ५२ शक्ति पीठों में से एक हैं। यह स्थान उत्तर भारत की नौ देवियों में से एक प्रमुख शक्ति पीठ है। माता चामुण्डा, देवी काली का ही उग्र रूप हैं, जिन्होंने चण्ड और मुण्ड नामक असुरों का संहार किया था, इसी कारण उन्हें "चामुण्डा" कहा गया। श्रद्धा से आरती करने पर भक्त को बल, बुद्धि, साहस और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
🕉️ श्री चामुण्डा माता आरती 🕉️
चण्ड मुण्ड दो राक्षस, हुए हैं बलशाली। उनको तुमने मारा, क्रोध दृष्टि डाली॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥ चौसठ योगिनी आकर, तांडव नृत्य करे। बावन भैरव झूमे, विपदा आन हरे॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥
शक्ति धाम कहाती, पीछे शिव मंदर। ब्रह्मा विष्णु नारद, मंत्र जपे अंदर॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥
सिंहराज यहां रहते, घंटा ध्वनि बाजे। निर्मल धारा जल की, वंडेर नदी साजे॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥ क्रोध रूप में खप्पर, खाली नहीं रहता। शांत रूप जो ध्यावे, आनंद भर देता॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥ हनुमत बाला योगी, ठाढ़े बलशाली। कारज पूरण करती, दुर्गा महाकाली॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥ रिद्धि सिद्धि देकर, जन के पाप हरे। शरणागत जो होता, आनंद राज करे॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥
शुभ गुण मंदिर वाली, ‘ओम’ कृपा कीजे। दुख जीवन के संकट, आकर हर लीजे॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥ ॐ जय चामुण्डा माता, मैया जय चामुण्डा माता। शरण आए जो तेरे, सब कुछ पा जाता॥ ॐ जय चामुण्डा माता...॥
📘 भावार्थ (संक्षेप)
यह आरती माँ चामुण्डा की शक्ति, पराक्रम और करुणा का स्तवन है। देवी को असुरों का संहार करने वाली, भक्तों की रक्षक और संकटों का नाश करने वाली बताया गया है। श्रद्धा से जो भी आरती करता है, उसके सारे भय, रोग और विघ्न दूर होकर सुख, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है।
🔔 प्रयोग का सुझाव
माँ चामुण्डा की आरती विशेषतः मंगलवार, शुक्रवार या नवरात्रि के समय करें। लाल वस्त्र धारण करें, सिंदूर, लाल पुष्प और दीपक अर्पित करें। श्रद्धा से आरती करने पर समस्त संकट नष्ट होते हैं।
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