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🌺 माँ चामुण्डा देवी की आरती 🌺
माँ चामुण्डा देवी की आरती नवरात्रि, शुक्रवार, अष्टमी और जगराते में गाई जाने वाली आरती। इसे पढ़ने से भक्तों को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है।
🙏 आरती 🙏
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
अर्थ: हे माँ अम्बे गौरी, आप मंगलमूर्ति हैं। हर दिन आपकी भक्ति करते हुए ब्रह्मा, विष्णु और शिव का ध्यान किया जाता है।
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
अर्थ: आपकी मांग में सिंदूर और टीका सजा हुआ है। आपके उज्ज्वल नेत्र और चंद्र सदृश मुख को देखकर भक्त प्रसन्न होते हैं।
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
अर्थ: आपका कलेवर सोने के समान सुंदर है, लाल वस्त्र और पुष्पमाला आपके गले में सजी है।
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
अर्थ: आपके वाहन सिंह हैं और आप खड्ग व खप्पर धारण करती हैं। देवता, मानव और ऋषि-मुनि आपके भक्त हैं। आप दुःखों को हरती हैं।
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
अर्थ: आपके कानों में सुंदर कुंडल हैं और नासिका पर मोती सजा है। कोटि चंद्र और सूर्य आपके सौंदर्य को बढ़ाते हैं।
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
अर्थ: आपने शुम्भ-निशुम्भ और महिषासुर का संहार किया। आपके धूम्रविलोचन नेत्र दिन-रात भक्तों को प्रेरित करते हैं।
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
अर्थ: चौंसठ योगिनियां मंगल गीत गाती हैं और भैरव नृत्य करते हैं। मृदंग और डमरू की ध्वनि से वातावरण पावन होता है।
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी ।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
अर्थ: आपकी चार भुजाएं अत्यंत सुंदर और खड्ग-खप्पर धारण किए हैं। भक्त आपकी सेवा से मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं।
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
अर्थ: आपके सामने सोने का थाल सजा है और कपूर की बाती प्रज्वलित है। कोटि रत्न और ज्योंति से आप जगमगाती हैं।
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
अर्थ: जो कोई भी आपकी आरती करता है, उसे सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
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