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🪔 श्री शनिदेव आरती | Shani Dev Aarti
शनि देव, न्याय के देवता और कर्मफल दाता माने जाते हैं। उनकी आरती करने से जीवन में अनुशासन, संतुलन और न्याय की स्थापना होती है। शनिवार और शनि जयंती के दिन इस आरती का विशेष महत्व होता है।
🌼 Shani Dev Aarti Lyrics in Hindi 🌼
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
🌼 आरती का अर्थ 🌼
- जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी – हे शनिदेव, आप भक्तों के कल्याणकर्ता हैं।
- सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी – आप सूर्यदेव और छाया माता के पुत्र हैं।
- श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी – आपका स्वरूप श्यामवर्ण, वक्र दृष्टि और चार भुजाओं वाला है।
- नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी – आप नीले वस्त्र धारण करते हैं और गज (हाथी) की सवारी करते हैं।
- क्रीट मुकुट शीश रजित – आपके सिर पर मुकुट और गले में मोतियों की माला शोभा देती है।
- मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी – भक्त आपको मोदक, मिष्ठान्न और सुपारी अर्पित करते हैं।
- लोहा तिल तेल उड़द – आपको लोहा, तिल, तेल और उड़द विशेष प्रिय हैं।
- देव दनुज ऋषि मुनि – देवता, दानव, ऋषि-मुनि और नर-नारी सब आपकी पूजा करते हैं।
- विश्वनाथ धरत ध्यान – स्वयं भगवान शिव भी आपका ध्यान करते हैं।
🌑 शनिवार को शनि देव की पूजा विधि (संक्षिप्त स्टेप्स) 🌑
- शनिवार प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पीपल के वृक्ष और शनि मंदिर में दीपक जलाएँ।
- काले तिल, तेल, उड़द, लोहा और नीले फूल अर्पित करें।
- शनि देव के मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जप करें।
- शनि देव की आरती “जय जय श्री शनिदेव…” भावपूर्वक गाएँ।
- गरीब और जरूरतमंद को काले वस्त्र, तेल, उड़द और भोजन का दान करें।
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