Sampurna Devi Aarti Hindi देवी आरती सम्पूर्ण

AnandShastri
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देवी आरती सम्पूर्ण
देवी आरती हिन्दू धर्म में मातृशक्ति की उपासना का पवित्र स्तुतिगान है। इसमें माँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के रूपों की महिमा, उनकी करुणा, शक्ति, कृपा और संरक्षण का वर्णन मिलता है। देवी आरती के पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक चेतना बढ़ती है। भक्त आरती गाकर माँ से सुख, सिद्धि, स्वास्थ्य, सफलता और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

देवी आरती — सम्पूर्ण

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्जवल से दो‌उ नैना, चन्द्रवदन नीको ॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै ॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी । सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी । आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूं। बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता । भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी । मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ॥ ओम जय अंबे गौरी ॥
श्री अम्बेजी की आरती, जो को‌ई नर गावै । कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै ॥ ओम जय अंबे गौरी ॥

देवी शैलपुत्री आरती

शैलपुत्री माँ बैल असवार।करें देवता जय जय कार ॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी । तेरी महिमा किसी ने न जानी ॥
पार्वती तू उमा कहलावें । जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें ॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू । दया करें धनवान करें तू ॥
सोमवार को शिव संग प्यारी । आरती जिसने तेरी उतारी ॥
उसकी सगरी आस पुजा दो । सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो ॥
घी का सुन्दर दीप जला के । गोला गरी का भोग लगा के ॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें । प्रेम सहित फिर शीश झुकायें ॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे । शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे ॥
मनोकामना पूर्ण कर दो । चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो ॥

देवी ब्रह्मचारिणी आरती

ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां,मैया जय ब्रह्मचारिणी मां,जन-जन की उद्धारिणी,जन-जन की उद्धारिणी,चरणों में हमें रखना,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
माला धारणी मैया,जो जन तुम्हें ध्याता,मैया जो जन तुम्हें ध्याता,ज्ञान ध्यान बढ़ जावे,ज्ञान ध्यान बढ़ जावे,सिद्धि नर पाता,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
अष्ट कमण्डल सोहे,भक्तों की प्यारी,मैया भक्तों की प्यारी,तपस्विनी है मैया,तपस्विनी है मैया,सेवक नर नारी,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
साधक सिद्धि पावे मां कल्याण करे,मैया मां कल्याण करे,निज भक्तों की मैया निज भक्तों की मैया,नित उद्धार करे,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
श्वेत वस्त्र है न्यारा ऋषि मुनि हर्षावे,मैया ऋषि मुनि हर्षावे त्याग और संयम बढ़ता,त्याग और संयम बढ़ता जो मां को ध्यावे,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
पूजा जो नित करता,ज्ञान सदा पावे,मैया ज्ञान सदा पावे,अज्ञान तिमिर को मिटावे,अज्ञान तिमिर को मिटावे,चरणों निज आवे,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
द्वितीय नवरात्रों में,पूजा मां की करो,पूजा मां की करो,शक्ति स्वरूपा मां के,शक्ति स्वरूपा मां के,चरणों का ध्यान करो,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
योगियों के मन में मां,सदा निवास करें,मैया सदा निवास करें,साधक कष्ट मिटावे,साधक कष्ट मिटावे,मां भव पार करे,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
ब्रह्मचारिणी मां की,आरती जो भी करे,मैया आरती जो भी करे,ज्योतिर्मय जीवन हो,ज्योतिर्मय जीवन हो,मां से दुख टरे,ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां

देवी चन्द्रघण्टा आरती

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम । पूर्ण कीजो मेरे काम ॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती । चन्द्र तेज किरणों में समाती ॥
मन की मालक मन भाती हो । चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो ॥
सुन्दर भाव को लाने वाली । हर संकट में बचाने वाली ॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये । श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए ॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए । सन्मुख घी की ज्योत जलाएं ॥
शीश झुका कहे मन की बाता । पूर्ण आस करो जगत दाता ॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा । कर्नाटिका में मान तुम्हारा ॥
नाम तेरा रटू महारानी । भक्त की रक्षा करो भवानी ॥

देवी कूष्मांडा आरती

ॐ जय कूष्मांडा माँ,मैया जय कूष्मांडा माँ,शरण तिहारी आए,शरण तिहारी आए,कर दो माता दया,जय जय कूष्मांडा माँ
ॐ जय कूष्मांडा माँ,मैया जय कूष्मांडा माँ,शरण तिहारी आए,शरण तिहारी आए,कर दो माता दया,जय जय कूष्मांडा माँ
अष्टभुजा जय देवी,आदिशक्ति तुम माँ,मैया आदिशक्ति तुम माँ,आदि स्वरूपा मैया,आदि स्वरूपा मैया,जग तुमसे चलता,ॐ जय कूष्मांडा माँ
चतुर्थ नवरात्रों में,भक्त करे गुणगान,मैया भक्त करे गुणगान,स्थिर मन से माँ की,स्थिर मन से माँ की,करो पूजा और ध्यान,ॐ जय कूष्मांडा माँ
सच्चे मन से जो भी,करे स्तुति गुणगान,मैया करे स्तुति गुणगान,सुख समृद्धि पावे,सुख समृद्धि पावे,माँ करे भक्ति दान,ॐ जय कूष्मांडा माँ
शेर है माँ की सवारी,कमंडल अति न्यारा,मैया कमंडल अति न्यारा,चक्र पुष्प गले माला,चक्र पुष्प गले माला,माँ से उजियारा,ॐ जय कूष्मांडा माँ
ब्रह्माण्ड निवासिनी,ब्रह्मा वेद कहे,मैया ब्रह्मा वेद कहे,दास बनी है दुनिया,दास बनी है दुनिया,माँ से करुणा बहे,ॐ जय कूष्मांडा माँ
पाप ताप मिटता है,दोष ना रह जाता,मैया दोष ना रह जाता,जो माता में रमता,जो माता में रमता,निश्चित फल पाता,ॐ जय कूष्मांडा माँ
अष्ट सिद्धियां माता,भक्तों को दान करें,मैया भक्तों को दान करें,व्याधि मैया हरती,व्याधि मैया हरती,सुखों से पूर्ण करे,ॐ जय कूष्मांडा माँ
कुष्मांडा माता की,आरती नित गाओ,आरती नित गाओ,माँ करेगी सब संभव,माँ करेगी सब संभव,चरण सदा ध्याओ,ॐ जय कूष्मांडा माँ
ॐ जय कूष्मांडा माँ,मैया जय कूष्मांडा माँ,शरण तिहारी आए,शरण तिहारी आए,कर दो माता दया,जय जय कूष्मांडा माँ
ॐ जय कूष्मांडा माँ,मैया जय कूष्मांडा माँ,शरण तिहारी आए,शरण तिहारी आए,कर दो माता दया,जय जय कूष्मांडा माँ

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