शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग काव्य परिचय ,

AnandShastri
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 महाकवि माघ प्रणीत शिशुपालवधम् महाकाव्य 

प्रथम सर्ग का सारांश 


एक बार श्रीकृष्ण अपनी राजधानी द्वारकापुरी में बैठे हुए थे, तभी उन्होनें आकाशरूपमार्ग से आते हुए नारद मुनि को देखा । नारद मुनि इन्द्र का संदेश लेकर आये हुए थे । नारद को देखकर श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और उनका आदर - सत्कार किया । आसन दिया । विविध प्रकार से नारद को प्रसन्न करने का प्रयास किया । थकान रहित होकर नारद जब आसन पर बैठे तब उनकी छवि ऐसे लग रहीं थी, मानो सांयकालीन बेला में चन्द्रमा उदयमान पर प्रकट हुआ हो । 

भावार्थ - यह हैं कि भगवान् श्रीकृष्ण श्यामवर्णी हैं तथा नारद श्वेतवर्णी । दोनों की छवि मिलकर ऐसी प्रतीत हो रहीं थी मानो सन्ध्या बेला में चन्द्रमा उदयमान पर विराजमान हो । 



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