श्री हनुमान चालीसा - Shree Hanuman Chalisa Collection

AnandShastri
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श्री हनुमान चालीसा


श्री हनुमान चालीसा हिन्दू धर्म के सबसे लोकप्रिय और चमत्कारिक स्तोत्रों में से एक है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में रचा था। यह दिव्य स्तुति 40 चौपाइयों और दो दोहों से मिलकर बनी है। हनुमान जी को शक्ति, बुद्धि, भक्ति, साहस और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि जो भक्त श्रद्धा, विश्वास और पवित्र मन से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन से सभी कष्ट, डर और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। हनुमान जी को महाबली, संकटमोचन, अष्टसिद्धि-नव निधि प्रदाता और रामभक्तों के आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है। हनुमान चालीसा के प्रत्येक शब्द में दिव्य ऊर्जा छिपी हुई है, जो मन, शरीर और जीवन में सकारात्मकता भर देती है। यह चालीसा मन को एकाग्र करती है, भय दूर करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है। रोज़ाना इसका पाठ करने से जीवन में सफलता, सौभाग्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी की भक्ति से ग्रह-दोष, विशेषकर शनि दोष और राहु-केतु के कष्ट कम होते हैं, तथा कालसर्प दोष का प्रभाव भी शांत होता है। हनुमान चालीसा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को संतुलित करने में सहायक माना जाता है। पाठ करने वाला व्यक्ति हनुमान जी की कृपा से अदम्य साहस, धैर्य और दृढ़ संकल्प प्राप्त करता है। चालीसा के श्लोक हनुमान जी के दिव्य गुणों का वर्णन करते हैं, जैसे—उनकी ब्रह्मचर्य शक्ति, रामप्रति अपार भक्ति, वेग, बुद्धि, तेज, पराक्रम और विनम्रता। हनुमान जी का नाम स्मरण करते ही नकारात्मक शक्तियाँ दूर भागती हैं और घर, परिवार व जीवन में सुरक्षा की अनुभूति होती है। धार्मिक परंपरा में माना जाता है कि मंगलवार और शनिवार हनुमान जी को अति प्रिय हैं, लेकिन चालीसा का पाठ किसी भी दिन, किसी भी समय किया जा सकता है। सुबह या शाम को दीपक जलाकर, स्वच्छ मन और शांत वातावरण में इसका पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है। भक्त इसे 11 बार, 21 बार या 108 बार भी पढ़ते हैं। यह साधना मनोकामना पूर्ण करने, मानसिक शांति पाने और संकटों से मुक्ति प्राप्त करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। श्री हनुमान चालीसा के पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, भय, तनाव, अवसाद और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। यह व्यक्ति को कर्मयोग, सत्य, निष्ठा और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। हनुमान जी का स्मरण जीवन में सद्बुद्धि और विवेक प्रदान करता है। हनुमान चालीसा एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है जिसे हर आयु वर्ग का व्यक्ति आसानी से समझ सकता है और अपने जीवन में अपनाकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है। संक्षेप में, हनुमान चालीसा सिर्फ एक स्तुति नहीं, बल्कि शक्ति, साहस, भक्ति, स्वास्थ्य, सफलता और सुरक्षा का सूत्र है। इसका नियमित पाठ जीवन को नई दिशा देता है, मन को स्थिर करता है और हनुमान जी की असीम कृपा प्राप्त कराता है। श्रद्धा और समर्पण के साथ किया गया पाठ हर प्रकार के संकट को दूर कर देता है और जीवन में प्रकाश, शांति और बल का संचार करता है। श्री हनुमान जी की अनंत कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे। जय बजरंगबली!

श्री हनुमान चालीसा पाठ

॥ दोहा ॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुन्‍दलित केसा ॥
हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥
शंकर सुवन केसरी नन्दन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥
विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचन्द्र के काज सवाँरे ॥
लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावै ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना । लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक ते काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहीं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ॥
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो शत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥
॥ दोहा ॥ पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभूप ॥

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