“श्री हनुमान आरती हिंदू धर्म में संकटमोचन, शक्ति, साहस और भक्ति का अद्भुत संगम है। ‘जय हनुमान ज्ञान गुण सागर’ से प्रारंभ होने वाली यह आरती सभी प्रकार के भय, कष्ट, रोग, शोक और बाधाओं को दूर करती है तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास और शांति का संचार करती है।
मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा और आरती विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। हनुमान आरती के नियमित पाठ से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है, ग्रह-दोष शांत होते हैं और मानसिक-आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
इस पेज पर आपको हनुमान आरती का सम्पूर्ण पाठ, अर्थ, महत्व, पूजन विधि, लाभ, हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय, पाठ नियम, इतिहास और भक्तों के अनुभव तक सब कुछ विस्तृत और सरल रूप में मिलेगा। यह विवरण हनुमान आरती खोजने वालों के लिए सबसे उपयुक्त, सटीक और उपयोगी सामग्री प्रदान करता है।”
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरिवर कांपे । रोग दोष जाके निकट न झांके ।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी । संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारी सिया सुध लाए ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारी असुर संहारे । सियारामजी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे । आणि संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठी पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखाड़े ।।
बाएं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे । जै जै जै हनुमान उचारे ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई । तुलसीदास प्रभु कीरति गाई ।।
जो हनुमानजी की आरती गावै । बसी बैकुंठ परमपद पावै ।।
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।


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