शिव स्वर्णमाला स्तुति संस्कृत,हिन्दी

AnandShastri
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Shiv Swarnmala Stuti lyrics

🔱 शिव स्वर्णमाला स्तुति | Shiv Swarnamala Stuti

भारतीय संस्कृति में स्तोत्र-पाठ का विशेष महत्व है। शिव स्वर्णमाला स्तुति आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है, जो भगवान शिव के चरणों में समर्पण का अद्भुत स्तोत्र है। इसका पाठ करने से मन की शुद्धि, आरोग्य, सौभाग्य, बल और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र प्रतिदिन प्रातःकाल या संध्या समय ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ पाठ करने से अत्यंत शुभ फल देता है।


🕉️ शिव स्वर्णमाला स्तुति (संस्कृत पाठ)

इशगिरीश नरेश परेश महेश बिलेशय भूषण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

उमया दिव्य सुमङ्गल विग्रह यालिङ्गित वामाङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

ऊरी कुरु मामज्ञमनाथं दूरी कुरु मे दुरितं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

ऋषिवर मानस हंस चराचर जनन स्थिति लय कारण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

अन्तःकरण विशुद्धिं भक्तिं च त्वयि सतीं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

करुणा वरुणालय मयिदास उदासस्तवोचितो न हि भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

जय कैलास निवास प्रमथ गणाधीश भू सुरार्चित भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

झनुतक झङ्किणु झनुतत्किट तक शब्दैर्नटसि महानट भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

धर्मस्थापन दक्ष त्र्यक्ष गुरो दक्ष यज्ञशिक्षक भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

बलमारोग्यं चायुस्त्वगुण रुचितं चिरं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद दुर्वृत्त गर्वहरण विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

भगवन् भर्ग भयापह भूत पते भूतिभूषिताङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

षड्रिपु षडूर्मि षड्विकार हर सन्मुख षण्मुख जनक विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मे त्येल्लक्षण लक्षित भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

हाऽहाऽहूऽहू मुख सुरगायक गीता पदान पद्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम् ॥

🌺 ॥ श्री शंकराचार्यकृतं शिवस्वर्णमाला स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


📘 भावार्थ (संक्षेप में)

इस स्तोत्र में भगवान शिव के अनन्त स्वरूप की महिमा, करुणा और कल्याणकारी रूप का गान है। भक्त उनसे प्रार्थना करता है कि वे उसके सभी पाप, दुःख और मोह को दूर कर दें तथा ज्ञान, भक्ति और मोक्ष का वरदान प्रदान करें। यह स्तोत्र मन को शुद्ध और आत्मा को आलोकित करता है।


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