🙏आरती श्री गिरिराजजी की 🙏
ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज ।
संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज
।। ॐ जय ।।
इंद्रादिक सब सुर मिल तुम्हरौं ध्यान धरैं ।
रिषि मुनिजन यश गावें , ते भव सिंधु तरैं
।। ॐ जय ।।
सुन्दर रूप तुम्हारौं श्याम सिला सोहें ।
वन उपवन लखि-लखि के भक्तन मन मोहें
।। ॐ जय ।।
मध्य मानसी गङ्ग कलि के मल हरनी ।
तापैं दीप जलावें , उतरे वैतरनी
।। ॐ जय ।।
नवल अप्सरा कुण्ड सुहावन-पावन सुखकारी ।
बाएं राधा-कुण्ड नहावें महा पापहारी
।। ॐ जय ।।
तुम्हीं मुक्ति के दाता कलियुग के स्वामि ।
दीनन के हो रक्षक प्रभु अतंरयामी
।। ॐ जय ।।
हम हैं शरण तुम्हारी , गिरिवर गिरधारी ।
देवकीनन्दन कृपा करों , हे भक्तन हितकारी
।। ॐ जय ।।
जो नर दे परिक्रमा पूजन पाठ करें ।
गावें नित्य आरती पुनि नहिं जनम धरैं
।। ॐ जय ।।
संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज
।। ॐ जय ।।
इंद्रादिक सब सुर मिल तुम्हरौं ध्यान धरैं ।
रिषि मुनिजन यश गावें , ते भव सिंधु तरैं
।। ॐ जय ।।
सुन्दर रूप तुम्हारौं श्याम सिला सोहें ।
वन उपवन लखि-लखि के भक्तन मन मोहें
।। ॐ जय ।।
मध्य मानसी गङ्ग कलि के मल हरनी ।
तापैं दीप जलावें , उतरे वैतरनी
।। ॐ जय ।।
नवल अप्सरा कुण्ड सुहावन-पावन सुखकारी ।
बाएं राधा-कुण्ड नहावें महा पापहारी
।। ॐ जय ।।
तुम्हीं मुक्ति के दाता कलियुग के स्वामि ।
दीनन के हो रक्षक प्रभु अतंरयामी
।। ॐ जय ।।
हम हैं शरण तुम्हारी , गिरिवर गिरधारी ।
देवकीनन्दन कृपा करों , हे भक्तन हितकारी
।। ॐ जय ।।
जो नर दे परिक्रमा पूजन पाठ करें ।
गावें नित्य आरती पुनि नहिं जनम धरैं
।। ॐ जय ।।

shastrianand701@gmail.com